सोमवार, 9 फ़रवरी 2009

हर जगह इमोशनल अत्याचार

सालभर बाद पिछले शनिवार को मैं हॉल में मूवी देखने गया। मूड कम ही था, लेकिन दोस्त जिद कर रहा था, इसलिए चला गया। मूवी लगी थी देव डी। पिक्चर का टाइटल और खाली टिकट विंडो देखकर चिंतित था कि कहीं पिक्चर के पैस भी वसूल होंगे याह नहीं। मूवी अच्छी थी, लेकिन मूवी का एक गाना `तौबा तेरा जलवा, तौबा तेरा प्यार तेरा इमोशनल अत्याचार´ कुछ ज्यादा ही अच्छा था। ज्यादा अच्छा इसलिए क्योंकि इसकी पहली पंक्ति के आखिरी दो शब्द `इमोशनल अत्याचार´ मुझे बार-बार झकझोर रहे थे। ये दो शब्द आजकल हर जगह दिख जाते हैं। पूरी दुनिय।में इमोशनल अत्याचार समान रूप से है। विश्व में छाई आर्थिक मंदी में भी यह विशेष किस्म का अत्याचार साफ नजर आता है। सभी देशों की सरकारें आर्थिक पैकेज का इमोशन दे रही है और पçब्लक अभी भी इस इमोशन में फंसकर अत्याचार का शिकार हो रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियां भी इससे अछूती नहीं है। कई कंपनियों ने करीब छह माह पहले बड़े इंक्रीमेंट का इमोशनल संबल दिया था, लेकिन अब नौकरियों में कटौती और इंक्रीमेंट तो दूर तन्ख्वाह में भी कटौती कर इमोशनल अत्याचार कर दिया है। उधर भारत-पाक संबंधों में भी यही अत्याचार नजर आ रहा है। पाकिस्तान अत्याचार कर रहा है और भारत के नेता हर बार जनता को इमोशनल ब्लैक मेल कर रहे हैं कि हम आतंक का मुहं तोड़ जवाब देंगे। 14 फरवरी भी नजदीक ही है और वेलेंटाइन डे पर भी यही विशेष किस्म का अत्याचार होगा। कितनों के इमोशन से खिलवाड़ होगा। अंदाजा लगाना मुश्किल है। कहीं लड़कियां यह अत्याचार करेंगी तो कहीं लड़के। खैर जो भी हो अब इमोशनल अत्याचार की जड़ें विश्वव्यापी हो चुकी हैं और इससे कोई नहीं बचा है। मैं भी नहीं।