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सफ़र जिंदगी का
रास्ते आसान से आसांतर होते गए कोई शायद दूर से मुझको दुआ देता रहा
गुरुवार, 29 मई 2008
नमन मेरा स्वीकार करें
ब्लॉग जगत के सभी साथियों को मेरा वंदन-अभिनंदन। मेरी मनोभावनाएं भी अब आपको सुलभ हो सकेंगी। आवश्यक मागॅदशॅन कर प्रोत्साहित करते रहेंगे सभी, इसी आशा के साथ - तरुण जैन।
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नमन मेरा स्वीकार करें
me kuch bhi nahi
TARUN JAIN
patrakarita ke sagar ki choti si boond jaintarun2224@gmail.com
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