गुरुवार, 26 जून 2008

बापू को तो बख्शो

किसी लेखक ने लिखा है कि किसी व्यक्ति का चरित्र पूरी तरह जाने बिना उसे कुत्ते जैसी गाली देना कुत्ते की बेइज्जती करना है। ऐसा ही ख्याल अमेरिका के एक प्रतिçष्ठत अखबार ने भी नहीं रखा और हाल ही में ऐसी महान आत्मा जिसे न केवल भारत के एकअरब से ज्यादा लोग बल्कि विदेशी भी महात्मा और बापू जैसे अति सम्मानीय शब्द से संबोधित करते हैं, उनकी तुलना करोड़ो लोगों की जेब काट कर धनकुबेर बने इंसान से कर दी। देश के सभी प्रतिçष्ठत अखबारों में खबर भी छपी कि मुकेश अंबानी का जीवन दर्शन महात्मा गांधी के जैसा है। जिसने भी यह तुलना की या तो वो गांधीजी के बारे में थोड़ा बहुत भी नहीं जानता या फिर सिर्फ लिखने और कमाने के लिए ही उसने ऐसा किया। उसे यह भी पता नहीं था कि गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी है, लेकिन जनता उन्हें महात्मा गांधी या बापू नाम से ही संबोधित करती है। जिसे करोड़ों लोग महात्मा या बापू स्वीकार करें उसकी तुलना किसी धनकुबेर से की जाए, यह उस महान आत्मा की बेइज्जती से ज्यादा कुछ नहीं। तुलना का भी कोई तो आधार होना चाहिए। बापू ने हमेशा स्वदेशी और स्वराज्य पर जोर दिया पर कोई जाकर तो देखे अंबानी बंधु के घर में इस्तेमाल होने वाली चीजों में से कितनी भारतीय है। बापू ने लघु उद्योगों को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन अंबानी बंधु ने तो रिलायंस फ्रेश जैसा प्रोजेक्ट लाकर गलियों की छोटी-छोटी दुकानों और ठेले थड़ी वालों की भी रोजी रोटी छीन ली। बापू ने सब कुछ त्यागने का लक्ष्य रखा और अंबानी बंधु हमेशा सबसे ज्यादा धनी बनने की फिराक में लगे रहते हैं। कहा जाता है कि महावीर के बाद अहिंसा का पूजने वाला अगर कोई शख्स था तो वे थे सिर्फ महात्मा गांधी। जिन्होंने अहिंसा के दम देश को आजादी दिलाई, लेकिन आज अगर मुकेश अंबानी को कोई छोटी सी गाली दे दे तो शायद वे पूरी फोर्स बुला लें और प्रशासन भी इसमें पूरा सहयोग करे। गांधी जी सत्य के पुजारी थे, इसलिए वे हमेशा राजनीतिक पद से दूर रहे, क्योंकि राजनीति और व्यापार झूठ के बिना आगे नहीं बढ़ते, फिर अंबानी बंधु तो देश के सबसे बडे़ व्यापारी हैं, इसलिए कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि उन्हें बात-बात में झूठ बोलना पड़ता होगा। अगर मुकेश का चरित्र वाकई गांधीजी जैसा होता तो वे एक बार इस तुलना का विरोध करते और बापू के प्रति सम्मान का भाव प्रकट करते, क्योंकि यही एक महान व्यक्तित्व की पहचान होती है। हैरत की बात यह भी है कि किसी अखबार ने भी इस लेख का विरोध नहीं किया, शायद यही सोचकर कि अंबानी गु्रप से उन्हें करोड़ों के विज्ञापन मिलते हैं। याद रखें अंबानी बंधु शिखर से गिर कर तो आदमी खड़ा हो सकता है, लेकिन नजरों से गिर कर नहीं, इसलिए ऐसी तुलना से बचने की कोशिश करें।

4 टिप्‍पणियां:

Amit K Sagar ने कहा…

बहुत ही उम्दा लेख. उचित. लिखते रहिये. शुक्रिया. शुभकामनाएं.
---
साथ ही अगर verification हटा देन तो बेहतर होगा बेशक कमेंट्स को अप्प्रोवल के लिए रखें. जिससे कमेन्ट करने वाले को झुंझलाहट और ज़हमत से बचाया जा सकता है.
---
उल्टा तीर

admin ने कहा…

दरइसल इस कृत्य के द्वारा उसने अपने "महानव्यक्तित्व" का ही परिचय दिया है।

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

जानकारी देने के लिए आभार

Raji Chandrasekhar ने कहा…

स्वागत हैं आप का ।
मैं केरल का एक ब्लोगर, मलयलम मैं और थोड़ा थोड़ा हिन्दी में भी ब्लोग्ता हूँ ।