शुक्रवार, 12 जून 2009

किस लाइन में आ गए

जिंदगी में संतुष्टि शायद गायब हो चुकी है। कहीं भी चले जाएं यह शब्द अब जीवन में दूर-दूर तक नजर नहीं आता। किसी भी ऑफिस या कार्यस्थल पर सिर्फ यही सुनने को मिलता है कि किस लाइन में आ गए। इससे तो किसी और लाइन में चले जाते तो अच्छा था। हर जगह हर आदमी उसी काम को कोसता नजर आता है, जिसके बलबूते पर वह अपनी रोजी-रोटी चला रहा है, अपने परिवार का पेट पाल रहा है। आखिर हमारी सोच इतनी संकीर्ण क्यों हो चली है कि हम जिस सहारे पर टिके हैं, हर पल उसी की बुराई करते हैं। यह स्थिति वैसे ही है, जैसे आज के बच्चे अपने मां-बाप को यह कोसते नजर आते हैं, कि उन्होंने उनके लिए किया ही क्या है, जबकि अब तक जो कुछ उन्होंने पाया, वह उन्हीं मां-बाप का दिया हुआ है। जिस तरह मां-बाप भगवान का रुप हैं, क्या हमारा काम जो हमें दो जून की रोटी देता है, वह भगवान नहीं हैं, क्या हमें उसकी पूजा नहीं करनी चाहिए, लेकिन हम दिन भर उसी को कोसते हैं। शायद यही वजह है कि हम आज तक खुश नहीं हो पाए। हमें हर उपलब्धि छोटी नजर आती है और हमारी यही आदत हमें अपनी ही नजरों में हीन बना देती है और इस हीन भावना से बाहर निकलने के लिए हम हर समझौता करने को तैयार हो जाते हैं और यहीं से अपराधों के रास्ते खुलते हैं, भ्रष्टाचार पनपता है और शायद फिर हम वह भी नहीं रहते, जो हम थे या हो सकते थे। आज सभी अपराधों की जड. में यही कारण नजर आता है, इसलिए जीवन की असली जीत शायद यही है कि हम पहले उसका सम्मान करना सीख लें, जो हमारे पास है।

6 टिप्‍पणियां:

Dileepraaj Nagpal ने कहा…

Good Hai Yaa...Jiyo Dil Se...

Magar Halat Wahi Hain N Ki Hajaaron Khwahishen Aisi Ki Har Khawihish Pe Dam Nikle...

Unknown ने कहा…

achhi baat
achha vichar
badhaai ho !

sandeep sharma ने कहा…

तरुण भाई,
सचिवालय में भी कोई एसा टकर गया क्या?
हमें हमेशा दुसरे की धोती में या दुसरे की थाली में ज्यादा दिखाई देता है.. अनिल अम्बानी भी यही सोचता है और रतन टाटा भी... पंद्रह दिन बाद तुम्हारे मुहं से कुछ सुना है (ब्लॉग पर लिखने को भी तो मुहं से बोलना ही मानेंगे ना) समाज और जीवन की सच्चाई लिखी है...

Publisher ने कहा…

lage raho. mahol mausi bhara hai matlab?????

somadri ने कहा…

roji-roti ki jugad se samay nikalo aur likho...

Unknown ने कहा…

All of us are in right line and on right track. Let other talk as they wish. We must keep contributing as usual as we like.
Your views, undersatnding and expressions are touching. They just shows your sense of responsibility towards the society.
Congrats.
Always keep flowing like this-----
MM Harsh